क्रिकेट, एक ऐसा खेल जो दुनिया भर में करोड़ों लोगों का पसंदीदा है, में कई ऐसे नियम छुपे हुए हैं जो आम दर्शकों को पता नहीं होते। क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट की शुरुआत दक्षिणी इंग्लैंड में हुई थी और अब यह 100 से अधिक देशों में खेला जाता है?
क्रिकेट के नियमों में कई ऐसे पहलू हैं जो खेल के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में, हम आपको क्रिकेट के उन अनोखे नियमों से परिचित कराएंगे जो शायद आप नहीं जानते होंगे, साथ ही टीम इंडिया के प्रदर्शन और टेस्ट मैचों में विकेट के महत्व पर भी चर्चा करेंगे।
पिच और मैदान से जुड़े अनजाने नियम
क्रिकेट के खेल में पिच और मैदान का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पिच की “हालत” मैच और टीम की रणनीति पर प्रभाव डालती है, क्योंकि पिच की वर्तमान और प्रत्याशित स्थिति टीम की रणनीति को निर्धारित करती है।
मैदान का आकार और पिच की क्रीज: क्रिकेट के मैदान का आकार और आकृति अलग-अलग हो सकती है, लेकिन सामान्यतः इसका व्यास 140-160 गज होता है। पिच पर चार क्रीज होती हैं – पॉपिंग क्रीज, बॉलिंग क्रीज और दो रिटर्न क्रीज, जिनका अपना-अपना महत्व है।

पिच की स्थिति और मैच का प्रभाव: अगर मैच के दौरान पिच खराब हो जाए, तो अंपायर मैच को पहली बार स्थगित कर सकता है और दूसरी पिच पर खेल जारी रख सकता है। इसके अलावा, अगर गेंद पिच पर पड़े किसी वस्तु से टकराती है, तो गेंद डेड हो जाती है और कोई रन नहीं मिलता।
क्रिकेट के नियमों के अनुसार, मैदान की सीमा रेखा के बाहर अगर गेंद जाती है और वहां से वापस मैदान में आती है, तो भी चौका या छक्का माना जाता है, बशर्ते गेंद सीमा रेखा को छू चुकी हो। यह नियम क्रिकेट को और रोमांचक बनाते हैं।
बल्ला और गेंद के अद्भुत नियम
क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट में बल्ला और गेंद के कुछ अनोखे नियम हैं? क्रिकेट के खेल में बल्ला और गेंद का विशेष महत्व है, और इनके नियम भी उतने ही रोचक हैं।
क्रिकेट में बल्ले का अधिकतम आकार निश्चित किया गया है। नियमों के अनुसार, बल्ले की अधिकतम चौड़ाई 4.25 इंच (10.8 सेमी) और लंबाई 38 इंच (96.5 सेमी) से अधिक नहीं हो सकती। इसके अलावा, बल्ला लकड़ी से बना होना चाहिए और इसमें अधिकतम 33% तक चिपकाने वाले पदार्थ का उपयोग किया जा सकता है।

गेंदबाज अपनी गेंद को चमकाने के लिए केवल पसीना और लार का उपयोग कर सकते हैं। किसी भी बाहरी पदार्थ का उपयोग प्रतिबंधित है। विराट कोहली जैसे खिलाड़ी अपने बल्ले के वजन और संतुलन को लेकर बहुत सावधान रहते हैं, क्योंकि नियमों के अनुसार बल्ले का वजन भी महत्वपूर्ण है।
क्रिकेट गेंद का वजन 5.5 से 5.75 औंस (156 से 163 ग्राम) के बीच होना चाहिए और इसकी परिधि 8.81 से 9 इंच (22.4 से 22.9 सेमी) के बीच होनी चाहिए। ये नियम क्रिकेट को एक संतुलित और रोमांचक खेल बनाते हैं।
विकेट और आउट होने के अजीब तरीके
क्रिकेट में विकेट का महत्व बहुत अधिक है, और इसके नियम भी उतने ही रोचक हैं। प्रत्येक विकेट में तीन लकड़ी के स्टंप होते हैं जिन्हें एक सीधी रेखा में रखा जाता है, और इनके ऊपर दो लकड़ी के बेल्स रखे जाते हैं।
क्रिकेट में आउट होने के 10 तरीके हैं, लेकिन कई बार खिलाड़ी ऐसे अजीब तरीकों से आउट होते हैं जिन्हें देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। उदाहरण के लिए, अगर बल्लेबाज अपने विकेट की रक्षा करते हुए अपनी टोपी गिरा दे और वह विकेट पर गिर जाए, तो बल्लेबाज हिट विकेट आउट माना जाता है।
इसके अलावा, “ओब्सट्रक्टिंग द फील्ड” एक ऐसा तरीका है जिसमें बल्लेबाज जानबूझकर क्षेत्ररक्षक को बाधा पहुंचाता है, इस तरह से आउट होने के बहुत कम मामले हैं। एक अन्य नियम “हैंडल द बॉल” के तहत, अगर बल्लेबाज बिना क्षेत्ररक्षक की अनुमति के गेंद को छूता है, तो वह आउट हो सकता है।
क्रिकेट के इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है जब एक ही विकेट पर दो बल्लेबाज एक साथ पहुंच गए और दोनों आउट हो गए। ऐसे अजीब और रोमांचक पल क्रिकेट को और भी आकर्षक बनाते हैं।

ओवर और पारी से जुड़े छिपे हुए नियम
ओवर और पारी क्रिकेट के दो ऐसे पहलू हैं जो मैच के परिणाम को पूरी तरह से बदल सकते हैं। ओवर में गेंदबाजी की संख्या और पारी में बल्लेबाजी के क्रम को समझना आवश्यक है।
ओवर के नियम: क्रिकेट में एक ओवर में ६ गेंदें होती हैं, लेकिन पहले ८ गेंदों का ओवर भी होता था। कुछ देशों में ४ गेंदों का ओवर भी प्रयोग किया गया है। अगर कोई गेंदबाज ओवर के दौरान चोटिल हो जाए, तो उसके ओवर को किसी अन्य गेंदबाज द्वारा पूरा किया जा सकता है, लेकिन वह गेंदबाज पिछले या अगले ओवर नहीं डाल सकता।
पारी के नियम: एक टीम का कप्तान अपनी पारी घोषित कर सकता है, भले ही सभी बल्लेबाज आउट न हुए हों। यह रणनीतिक निर्णय मैच के परिणाम को बदल सकता है। क्रिकेट के नियमों के अनुसार, एक टीम की पारी तब भी समाप्त हो सकती है जब खेलने के लिए पर्याप्त खिलाड़ी न हों (कम से कम २ बल्लेबाज)।
टेस्ट क्रिकेट में, अगर कोई टीम फॉलो-ऑन से बचने के लिए विपक्षी टीम के स्कोर से २०० रन कम बनाती है, तो उसे तुरंत दोबारा बल्लेबाजी करनी पड़ सकती है। यह नियम टीमों को रणनीतिक निर्णय लेने के लिए मजबूर करता है।
अंपायरिंग और डीआरएस के कम ज्ञात नियम
अंपायरिंग और डीआरएस क्रिकेट के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं जो खेल को निष्पक्ष और रोमांचक बनाते हैं।
क्रिकेट में डीआरएस (डिसीजन रिव्यू सिस्टम) का उपयोग पहली बार 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच में किया गया था। यह प्रणाली अंपायर के फैसलों की समीक्षा करने में मदद करती है।
टेस्ट मैच में प्रत्येक टीम को प्रति पारी 3 डीआरएस रिव्यू मिलते हैं, जबकि सीमित ओवरों के मैच में केवल 2 रिव्यू मिलते हैं।
क्या आप जानते हैं कि अगर अंपायर चोटिल हो जाए, तो मैच रेफरी खुद अंपायर बन सकता है या किसी स्थानीय अंपायर को नियुक्त कर सकता है? यह नियम खेल को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
डीआरएस में “अंपायर्स कॉल” का नियम बहुत महत्वपूर्ण है – अगर गेंद विकेट के बहुत थोड़े हिस्से को हिट कर रही है, तो मैदानी अंपायर का निर्णय ही मान्य होता है।